युक्तियुक्तकरण में अनियमितताओं पर बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल सख्त, कमिश्नर को लिखा पत्र – पारदर्शी जांच की मांग

युक्तियुक्तकरण में अनियमितताओं पर बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल सख्त, कमिश्नर को लिखा पत्र – पारदर्शी जांच की मांग
जगदलपुर, 12 जून 2025 –
बस्तर जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण एवं काउंसलिंग प्रक्रिया में सामने आ रही अनियमितताओं पर अब बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल ने भी सख्त रुख अपनाते हुए मोर्चा खोल दिया है। विधायक बघेल ने बस्तर संभाग के कमिश्नर को पत्र लिखते हुए इस पूरी प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच कराने और हुई त्रुटियों के शीघ्र निराकरण की मांग की है।
पत्र में विधायक बघेल ने स्पष्ट किया है कि वे युक्तियुक्तकरण के सिद्धांत के पक्षधर हैं और अपने आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान भी इस विषय को प्राथमिकता से उठाते रहे हैं। परंतु बस्तर जिले में जिस तरह से इस प्रक्रिया को लागू किया गया, उस पर उन्होंने पारदर्शिता और न्यायसंगतता को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
मुख्य आपत्तियाँ व मांगें –
बघेल ने सर्व शैक्षिक संगठन, जिला बस्तर द्वारा प्रस्तुत शिकायत का हवाला देते हुए कहा कि कई शिक्षकों को बिना पक्ष रखने का अवसर दिए अतिशेष घोषित कर दिया गया।
रिक्त पदों की वास्तविक स्थिति छुपाई गई और एकल शिक्षक विद्यालयों की जानकारी को गलत तरीके से दर्शाया गया।
वरिष्ठता सूची में जन्मतिथि व नियुक्ति तिथि जैसे मूलभूत विवरण तक नहीं जोड़े गए।
2014 में युक्तियुक्तकरण के तहत नियुक्त शिक्षकों को पुनः अतिशेष घोषित करना अनुचित बताया।
बघेल ने यह भी सवाल उठाया कि जब एक खण्ड शिक्षा अधिकारी को निलंबित किया गया है, तो पूरी प्रक्रिया को अंतिम रूप देने वाली समिति के अन्य सदस्यों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
उन्होंने कमिश्नर से इस समूचे प्रकरण की पुनः समीक्षा एवं निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए एक स्वतंत्र समिति के गठन की बात कही ताकि किसी शिक्षक के साथ अन्याय न हो।
विधायक की टिप्पणी:
“विभागीय कार्यों में त्रुटियाँ होना संभव है, लेकिन उनका समय रहते सुधार अत्यंत आवश्यक है। शिक्षकों के मौलिक अधिकारों का हनन किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।”
अब सबकी नजरें कमिश्नर पर टिकी हैं कि वे इस पूरे विवाद पर क्या निर्णय लेते हैं और प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने हेतु क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।
यह मुद्दा न केवल शिक्षकों के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं की निष्पक्षता और जवाबदेही की भी परीक्षा बन चुका है।