छत्तीसगढ़

भगवान महावीर जयंती पर 20 दिनों तक गूंजा ‘जियो और जीने दो’ का संदेश






रायपुर. भगवान महावीर स्वामी की 2624वीं जयंती के अवसर पर राजधानी रायपुर में 20 दिवसीय जन्मकल्याणक महोत्सव धूमधाम और अध्यात्मिक उल्लास के साथ मनाया गया. इस विशाल आयोजन में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की ऐसी छटा बिखरी जिसने शहरवासियों को भक्ति और सेवा के रंग में रंग दिया.PauseMute

महावीर जयंती के दिन श्री दिगंबर जैन मंदिर मालवीय रोड से निकली शोभायात्रा ने पूरे शहर को भक्ति में डुबो दिया. इस शोभायात्रा के दौरान सकल जैन समाज ने 2500 से अधिक पौधे वितरित किए, वह भी कपड़े के थैलों में, ताकि पर्यावरण सुरक्षा और नो प्लास्टिक अभियान को प्रोत्साहन मिले. यह संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के अनुरूप था, जिन्होंने नवकार महामंत्र जाप के दौरान “एक पेड़ मां के नाम” लगाने की बात कही थी.

“जियो और जीने दो” का संदेश, महापुरुषों की प्रेरणा बनी महावीर की वाणी
मुख्य समारोह में उपस्थित रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक राजेश मूणत ने भगवान महावीर के जीवन को “मानवता के सर्वोच्च आदर्शों का प्रतीक” बताया. उन्होंने कहा, “अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य जैसे सिद्धांत आज के समय में समाज को दिशा देने वाले हैं.”

महोत्सव का प्रमुख आकर्षण रहा लोढ़ा विंग्स द्वारा प्रस्तुत नृत्य नाटिका, जिसमें माता त्रिशला के 14 स्वप्नों और भगवान महावीर के जन्म को भव्य मंचन के रूप में दर्शाया गया. करीब 50 बच्चों और महिलाओं ने भांगड़ा, भरतनाट्यम, ओड़िशी, घूमर, करमा सहित देश के विविध रंगों को मंच पर जीवंत किया.

रात्रि में 2624 दीयों से की गई आरती ने वातावरण को आस्था की ज्योति से आलोकित कर दिया. यह दृश्य भावविभोर कर देने वाला था, जब प्रकाश के हर दीप में महावीर की शिक्षाएं झिलमिला उठीं.

सेवा ही धर्म: 706 यूनिट रक्तदान का कीर्तिमान
जन्मकल्याणक महोत्सव के दौरान 15 दिवसीय रक्तदान शिविर और महारक्तदान शिविर आयोजित किए गए, जिसमें कुल 706 यूनिट ब्लड एकत्र किया गया. समिति ने बताया कि यह रक्त ज़रूरतमंदों तक ब्लड बैंक और समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से पहुंचाया जाएगा. महिलाओं, युवाओं और आयोजन समितियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया. वीर भक्ति गीत प्रतियोगिता में 20 से अधिक मंडलों ने भाग लिया, जहां गीतों के माध्यम से भगवान महावीर के जीवन और सिद्धांतों को संगीतमय भाव में प्रस्तुत किया गया.

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