बकावंड में जल जीवन मिशन बना भ्रष्टाचार का गवाह: अधूरी टंकी से नहीं पहुंचा एक बूंद पानी, गिरने की कगार पर



बकावंड में जल जीवन मिशन बना भ्रष्टाचार का गवाह: अधूरी टंकी से नहीं पहुंचा एक बूंद पानी, गिरने की कगार पर


(डमरू कश्यप)! बकावंड, 17 जून 2025 — केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना का बकावंड विकासखंड में क्रियान्वयन भ्रष्टाचार और लापरवाही का नमूना बन गया है। मुख्यालय में तीन साल पहले लाखों की लागत से बनाई गई पानी की टंकी आज भी गांववासियों के किसी काम नहीं आ सकी। हालात ये हैं कि टंकी जगह-जगह से दरक गई है और गिरने की स्थिति में पहुंच गई है। योजना की पूरी राशि आहरित कर ली गई, लेकिन पानी की एक बूंद भी ग्रामीणों के घरों तक नहीं पहुंची।
“अधूरे कार्यों की लंबी फेहरिस्त”
पीएचई विभाग की निगरानी में इस योजना के अंतर्गत न केवल अधूरी टंकी खड़ी है, बल्कि घर-घर बनाए गए नल कुटा (पानी की टोंटी) भी महज दिखावा बनकर रह गए हैं। टोंटी तो लगाई गई हैं, मगर उनमें से एक बूंद पानी भी नहीं निकल रहा। बोरवेल खुदवाया गया था, लेकिन वह सफल नहीं हुआ। इसके बावजूद ठेकेदारों और अधिकारियों ने कोई वैकल्पिक समाधान नहीं निकाला।
“सूचना पटल भी नहीं लगाया”
गौर करने वाली बात यह है कि टंकी निर्माण जैसे बड़े कार्य के पहले सूचना पटल लगाया जाना अनिवार्य है, मगर यहां यह भी नहीं लगाया गया, जिससे काम की पारदर्शिता पर भी सवाल उठते हैं।
“जिम्मेदार क्या कह रहे?
स्थानीय ठेकेदार श्याम जायसवाल ने सफाई दी कि “जहां-जहां टंकी में दरारें आई हैं, मैं उसे ठीक करा दूंगा।” वहीं पीएचई के अधिकारी आलोक मंडल ने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि, “टंकी अगर गलत तरीके से बनी है तो उसे तुड़वाकर दोबारा बनवाया जाएगा।”
“जनता में आक्रोश”
गांव के लोग इस अधूरे काम और लापरवाही से बेहद नाराज़ हैं। उनका कहना है कि “तीन साल से टंकी बनी खड़ी है, मगर आज तक हमारे घरों में पानी नहीं पहुंचा। लाखों खर्च करने के बाद भी अगर पानी न मिले, तो फिर योजना का क्या मतलब?”
“सरकार से जवाबदेही की मांग”
डबल इंजन सरकार की यह योजना गांव-गांव शुद्ध पेयजल पहुंचाने की मंशा से शुरू की गई थी, मगर बकावंड में यह योजना सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।