बस्तर के सांसद महेश कश्यप की संसद में गरज – आदिवासी बेटियों की सुरक्षा और धर्मांतरण पर बने सख्त कानून

बस्तर के सांसद महेश कश्यप की संसद में गरज – आदिवासी बेटियों की सुरक्षा और धर्मांतरण पर बने सख्त कानून
जगदलपुर। बस्तर सांसद महेश कश्यप ने आदिवासी बेटियों की सुरक्षा और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ संसद में दमदार आवाज़ उठाई है। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ रही मिशनरी गतिविधियों और बेटियों को बहला-फुसलाकर दूसरे राज्यों में ले जाने की घटनाओं को “संगठित अपराध” बताते हुए केंद्र सरकार से सख्त और स्पष्ट कानून बनाने की माँग की।
सांसद कश्यप ने संसद में कहा कि बीते 60 वर्षों तक बस्तर को योजनाबद्ध तरीके से विकास से वंचित रखा गया। उन्होंने कहा, “जल, जंगल और ज़मीन से परिपूर्ण इस पवित्र धरा को माओवाद, गरीबी और अशिक्षा की सज़ा दी गई। यह क्षेत्र काला पानी की तरह बना दिया गया था।”
उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के नाम पर कुछ बाहरी तत्व आदिवासी समाज में गहरी घुसपैठ कर रहे हैं और मतांतरण जैसे गंभीर कृत्यों में लिप्त हैं। अबूझमाड़ क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि यहाँ की आदिवासी बेटियों को बहला-फुसलाकर जबरन धर्मांतरण और तस्करी जैसे गंभीर अपराध किए जा रहे हैं।
सांसद कश्यप ने 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन की एक घटना का जिक्र किया, जहाँ अबूझमाड़ क्षेत्र की तीन आदिवासी बेटियों को लेने जबलपुर और आगरा से दो नन पहुँची थीं। एक बेटी के विरोध और रोने पर स्थानीय नागरिकों और रेलवे पुलिस की तत्परता से दोनों नन को गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस संवेदनशील मामले को विपक्ष और केरल के कुछ सांसद जानबूझकर राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। कश्यप ने कहा, “दुर्ग रेलवे स्टेशन से दो मिशनरी नन की गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि किस तरह एक सुनियोजित नेटवर्क आदिवासी बहनों को निशाना बना रहा है।”
सांसद ने केंद्र सरकार से मांग की कि देश में ऐसा कठोर कानून बनाया जाए, जो आदिवासी बेटियों की सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा करे और मतांतरण जैसी गतिविधियों पर रोक लगाए। साथ ही उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि “बस्तर की जमीनी सच्चाई को समझे बिना एकपक्षीय बयानबाज़ी करना और राजनीतिक लाभ के लिए आदिवासी समाज को बदनाम करना निंदनीय है।”
महेश कश्यप ने स्पष्ट किया कि वे बस्तर की संस्कृति, अस्मिता और जनजातीय बेटियों की सुरक्षा के लिए हर मंच पर आवाज उठाते रहेंगे और धर्मांतरण जैसी कुत्सित प्रवृत्तियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे।