छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी से बिजली की डिमांड चरम पर, संकट टालने सरकार की बड़ी तैयारी!

कोरबा। छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी का असर अब बिजली की खपत पर साफ नजर आने लगा है। तापमान बढ़ने के साथ ही पंखे, कूलर और एयर कंडीशनर का उपयोग तेजी से बढ़ा है, जिससे प्रदेश में बिजली की मांग 5800 मेगावाट तक पहुंच गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मी के मौसम में बिजली की खपत में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
बिजली की बढ़ती मांग ने कई इलाकों में कटौती की समस्या को भी जन्म दिया है। वहीं, गर्मी के इस दौर में लोगों को राहत देने के लिए सरकार को अतिरिक्त उपाय करने पड़ सकते हैं। हालांकि, ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि थोड़ी सी सतर्कता से बिजली की खपत और बिल दोनों को कम किया जा सकता है। जैसे- एसी का तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस पर रखना और फ्रिज को गर्मी के स्रोतों से दूर रखना।
प्रदेश में बिजली का प्रमुख स्रोत ताप विद्युत संयंत्र हैं, और प्रति व्यक्ति बिजली खपत के मामले में छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर है। हर वर्ष बिजली की मांग में औसतन साढ़े सात प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग का अनुमान है कि वर्ष 2029-30 तक प्रदेश में बिजली की मांग 8805 मेगावाट तक पहुंच सकती है।
उत्पादन क्षमता और चुनौतियां
वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की कुल उत्पादन क्षमता लगभग 2,980 मेगावाट है, लेकिन तकनीकी खामियों और कम लोड पर संयंत्रों के चलने से औसतन 2,550 मेगावाट बिजली ही उपलब्ध हो पाती है। शेष बिजली की जरूरत सेंट्रल पुल से विड्राल कर पूरी की जाती है। मांग बढ़ने की स्थिति में राज्य को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है।
नई परियोजनाएं और कोयला आपूर्ति
भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सात नए ताप विद्युत संयंत्रों की योजना तैयार की है, जिनकी कुल क्षमता 8400 मेगावाट होगी। इसमें एचटीपीपी में 660-660 मेगावाट की इकाइयों की स्थापना प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में 7100 मेगावाट की क्षमता के छह जल विद्युत संयंत्रों की भी योजना बनाई गई है।
बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जा रही है। वर्तमान में सभी संयंत्रों के पास एक माह से अधिक का कोयला स्टॉक उपलब्ध है, और एसईसीएल की खदानों से नियमित आपूर्ति हो रही है।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ में बढ़ती गर्मी के साथ बिजली संकट की आहट स्पष्ट हो गई है। आने वाले वर्षों में बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार को नई विद्युत परियोजनाओं को जल्द से जल्द जमीन पर उतारने की जरूरत है, ताकि प्रदेश के नागरिकों को निर्बाध बिजली आपूर्ति मिल सके।