बकावण्ड में सरपंच संघ की विशेष बैठक, जनसमस्याओं के समाधान हेतु चेताया शक्ति प्रदर्शन का ऐलान

बकावण्ड में सरपंच संघ की विशेष बैठक, जनसमस्याओं के समाधान हेतु चेताया शक्ति प्रदर्शन का ऐलान
बकावण्ड! अटल समरसता भवन, बकावण्ड में शुक्रवार को सरपंच संघ की विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें जनपद क्षेत्र की 93 ग्राम पंचायतों से जुड़े सरपंचों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता सरपंच संघ के अध्यक्ष रीमाधर बघेल ने की। बैठक में उपाध्यक्ष गोपाल कश्यप, सचिव संतोष कुमार कश्यप, महामंत्री चक्रधर कश्यप, संयोजक अम्बाली कश्यप, तिलोत्तमा मौर्य, मीडिया प्रभारी नीलम कश्यप, कार्यकारिणी सदस्य पाकलु राम कश्यप, गजा, जितेंद्र, लखमु राम भारती, संतोष कश्यप समेत बड़ी संख्या में सरपंच उपस्थित रहे।
बैठक में पंचायतों की जमीनी समस्याओं, विकास कार्यों में आ रही अड़चनों और जनहित के मुद्दों पर गंभीर चर्चा की गई। सरपंचों ने प्रशासन को चेताते हुए कहा कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो चरणबद्ध आंदोलन और शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा।
बैठक में उठाए गए मुख्य मुद्दे:
93 पंचायतों के लिए मात्र एक सब इंजीनियर – अतिरिक्त तकनीकी स्टाफ की मांग
राशन कार्ड निर्माण में हितग्राहियों को जनपद कार्यालय भेजे जाने पर नाराज़गी
योजनाओं की जानकारी सरपंचों को नियमित रूप से देने की मांग
अटल व्यवसाय परिसर निर्माण कार्य की समीक्षा
पंचायत स्तर पर योजनाबार खाता जानकारी उपलब्ध कराना
डीएसी अप्रूवल (₹2500/₹2000) की प्रक्रिया को सरल बनाने की अपील
सरपंच मानदेय में वृद्धि हेतु आंदोलन की रणनीति तय
9 अगस्त – विश्व आदिवासी दिवस को भव्य रूप से मनाने का निर्णय
जनसमस्याओं के समाधान हेतु स्थानीय कार्यालयों में प्रभावी कार्ययोजना
पत्रकारों द्वारा आरटीआई के दुरुपयोग कर की जा रही कथित उगाही पर कार्रवाई की मांग
जनपद कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की निष्क्रियता पर चिंता
आंदोलन की चेतावनी:
बैठक के अंत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि प्रशासन इन मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लेता, तो सरपंच संघ चरणबद्ध आंदोलन, शक्ति प्रदर्शन और हड़ताल करेगा। संघ ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय जनहित और पंचायत व्यवस्था को सशक्त बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।
संघ का संकल्प:
सरपंच संघ बकावण्ड ने दोहराया कि वह ग्राम पंचायतों के विकास, पारदर्शिता और ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
यह बैठक न केवल प्रशासन के लिए एक गंभीर संदेश है, बल्कि ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक चेतना और नेतृत्व की सक्रियता का भी प्रमाण है।