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रायगढ़ बना प्रदेश का पहला डिजिटल पंचायत जिला, यूपीआई से हो रही टैक्स वसूली, गांवों में बढ़ी पारदर्शिता और भागीदारी

रायगढ़ बना प्रदेश का पहला डिजिटल पंचायत जिला, यूपीआई से हो रही टैक्स वसूली, गांवों में बढ़ी पारदर्शिता और भागीदारी

रायपुर, 13 मई 2025।
छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला प्रदेश में एक नया इतिहास रचते हुए डिजिटल पंचायत व्यवस्था की दिशा में अग्रणी बन गया है। अब रायगढ़ की सभी 549 ग्राम पंचायतों में टैक्स और शुल्क की वसूली यूपीआई (UPI) के माध्यम से हो रही है। यह व्यवस्था प्रदेश में पहली बार किसी जिले में पूर्ण रूप से लागू की गई है।

ग्रामीण अब प्रॉपर्टी टैक्स, जलकर, बाजार शुल्क और स्वच्छता कर जैसे भुगतान अपने मोबाइल फोन से कर पा रहे हैं। पंचायत भवनों और सार्वजनिक स्थानों पर यूपीआई क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिससे ग्रामीणजन घर बैठे टैक्स भरने में सक्षम हो गए हैं।

117% की वृद्धि, टैक्स वसूली दोगुनी

इस डिजिटल पहल से पंचायतों की आमदनी में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। तत्कालीन कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने प्रधानमंत्री अवॉर्ड की स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष इस नवाचार मॉडल की प्रस्तुति दी थी, जिसमें बताया गया कि डिजिटल प्रणाली लागू होने से टैक्स संग्रहण में बीते वर्ष की तुलना में 117% वृद्धि हुई है। कई पंचायतों में तो वसूली दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है।

आदिवासी क्षेत्रों में भी पहुंचा डिजिटल समावेशन

रायगढ़ के सात में से पांच ब्लॉक आदिवासी बहुल हैं। यहां तक कि 330 पीवीटीजी बिरहोर परिवारों ने भी यूपीआई से टैक्स भुगतान शुरू कर दिया है। यह डिजिटल समावेशन की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

ग्राम सभाओं में बढ़ी भागीदारी

डिजिटल भुगतान प्रणाली लागू होने के बाद पंचायत व्यवस्था में ग्रामीणों की भागीदारी भी बढ़ी है। तीन पंचायतों के अध्ययन में पाया गया कि ग्राम सभाओं में उपस्थिति 57% तक बढ़ी है। यह बदलाव ग्रामीण शासन व्यवस्था में जागरूकता और विश्वास को दर्शाता है।

महिला समूहों की भागीदारी और बढ़ा लेनदेन

महिला स्व-सहायता समूहों और बीसी सखियों के लेनदेन में भी वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2022-23 में 3969.30 लाख रुपये के मुकाबले 2023-24 में यह राशि 4236.50 लाख रुपये और 2025 के फरवरी तक 4650.80 लाख रुपये तक पहुंच गई है।

पारदर्शी और सुगम वित्तीय प्रणाली

हर लेन-देन का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध होने से पंचायतों का खाता प्रबंधन, ऑडिट प्रक्रिया और नकद मिलान कार्य अत्यंत सुगम और पारदर्शी बन गया है। यह मॉडल अब छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनता जा रहा है।

जिला प्रशासन का नेतृत्व और सहयोग

जिला पंचायत के सीईओ जितेन्द्र यादव ने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर कार्तिकेया गोयल और वित्त मंत्री ओपी चौधरी के मार्गदर्शन में यह पहल शुरू हुई थी। वर्तमान में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के नेतृत्व में शत-प्रतिशत पंचायतों को डिजिटल टैक्स वसूली से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।

रायगढ़ जिले की यह उपलब्धि डिजिटल इंडिया की सोच को गांवों तक पहुंचाने का जीवंत उदाहरण बन चुकी है, जिसने पंचायतों को डिजिटल सशक्तिकरण की नई पहचान दी है।

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