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बस्तर में मत्स्य पालन को बढ़ावा: 102 हितग्राहियों को 272 किलो मत्स्य बीज का वितरण, वैज्ञानिक तकनीकों का दिया गया प्रशिक्षण

जगदलपुर,! बस्तर जिले में ग्रामीणों की आजीविका को सशक्त बनाने एवं जल संसाधनों के समुचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन और बस्तर सेवक मंडल ने एक सराहनीय पहल की है। हाई इम्पैक्ट मेगा वाटरशेड 2.0 परियोजना के अंतर्गत मछली पालन विभाग एवं मनरेगा के समन्वय से 102 हितग्राहियों को मत्स्य बीज वितरित किया गया।

6 अगस्त को आयोजित इस कार्यक्रम में बस्तर विकासखंड के विभिन्न मनरेगा निर्मित डबरी और तालाबों में मछली पालन करने वाले हितग्राहियों को कुल 272 किलोग्राम फिंगरलिंग (मत्स्य बीज) वितरित किया गया। यह वितरण शासकीय मत्स्य बीज केंद्र, बालेगा में मछली निरीक्षक डॉ. लखन ठाकुर के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

हितग्राहियों को प्रमुख प्रजातियाँ – कतला, रोहू, मृगल एवं क्रास कार्प – 400 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर उपलब्ध कराई गईं। कार्यक्रम के दौरान मछली पालन से जुड़ी विभिन्न योजनाओं, तकनीकों और प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई।

बस्तर सेवक मंडल की ओर से सुनील ठाकुर ने मछली पालन की वैज्ञानिक विधियों पर प्रकाश डालते हुए POP (Package of Practices) की उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने जल प्रबंधन, तालाब की तैयारी, आहार व्यवस्था, बीज संचयन और रोग नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की विस्तृत जानकारी साझा की।

इस अवसर पर केवाईसी प्रक्रिया, बीमा, बीज छोड़ने की विधि आदि विषयों पर भी प्रशिक्षण दिया गया।
यह पहल जिले में आजीविका संवर्धन के साथ-साथ मत्स्य उत्पादन में वृद्धि और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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