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‘बिहान’ से बदल रही बस्तर की तस्वीर: सब्जी उत्पादन, पशुपालन और एकीकृत खेती से महिलाएं बन रही हैं ‘लखपति दीदी’

बस्तर की 4600 महिलाओं की सालाना आय में हो रही है उल्लेखनीय वृद्धि, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

जगदलपुर, 19 जुलाई 2025,! बस्तर की ग्रामीण महिलाएं अब आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ के तहत बस्तर जिले के चार विकासखंडों – जगदलपुर, तोकापाल, लोहंडीगुड़ा और दरभा – में 16 एकीकृत फार्मिंग क्लस्टर्स की स्थापना कर लगभग 4600 परिवारों को खेती और अन्य आजीविका गतिविधियों से जोड़ा गया है। इसका लक्ष्य है कि प्रत्येक महिला सालाना एक लाख रुपये या उससे अधिक आय अर्जित कर ‘लखपति दीदी’ बन सके।

इस परियोजना के तहत महिलाएं पारंपरिक खेती से हटकर उन्नत बीजों, नई तकनीकों और वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्हें पौधों के रोग प्रबंधन, उत्पादन तकनीक और बाजार से जुड़ाव की भी विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।

सब्जी उत्पादन बना आत्मनिर्भरता का माध्यम

परियोजना के पहले चरण में 1800 से अधिक महिलाओं ने अपने घरों के आसपास की 5 से 25 डिसमिल भूमि में करेला, बरबटी, लौकी, तरोई और गिलकी जैसी सब्जियों का उत्पादन शुरू किया है। मल्चिंग और मचान तकनीक के उपयोग से उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है।

ग्राम कलचा की जयंती बघेल, ग्राम नेगीगुड़ा की पद्मा बघेल, ग्राम बीजापुट की चंपा बघेल और ग्राम करणपुर की हीरामणि जैसी महिलाएं उदाहरण बनकर उभर रही हैं। ये महिलाएं न केवल अपने परिवार की पोषण ज़रूरतें पूरी कर रही हैं, बल्कि अतिरिक्त उपज को बाजार में बेचकर आय भी अर्जित कर रही हैं।

बचत से भविष्य की नींव

स्व-सहायता समूहों से जुड़ी ये महिलाएं अब बाजार से सब्जी खरीदने पर होने वाले खर्च की बचत को बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह निर्माण और छोटे व्यापार में निवेश कर रही हैं। सब्जियों की बिक्री से हो रही अतिरिक्त आय उनके परिवारों की आर्थिक स्थिरता को मजबूत कर रही है।

एक महिला, अनेक आजीविकाएं

‘बिहान’ का उद्देश्य हर महिला को तीन से चार आय सृजन गतिविधियों से जोड़ना है। सब्जी उत्पादन के अलावा मक्का की खेती, मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन, वनोपज प्रसंस्करण और लघु धान्य उत्पादन जैसी गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे महिलाओं को आय के विविध स्रोत मिल रहे हैं।

भविष्य की योजना

बस्तर में उत्पादित सब्जियों की मांग बढ़ने पर अब जिले के बाहर भी इनकी आपूर्ति की योजना बनाई जा रही है। इससे स्थानीय उत्पादकों को बेहतर बाजार मिलेगा और बस्तर की महिलाओं का आत्मनिर्भरता की ओर सफर और मजबूत होगा।

‘बिहान’ की यह पहल न केवल आजीविका के नए अवसर सृजित कर रही है, बल्कि बस्तर की महिलाओं को सशक्त बनाकर उन्हें सही मायनों में ‘लखपति दीदी’ बनाने की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है।

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