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बकावंड वन क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर जारी हुआ पेड़ काटने का आदेश : ग्रामीणों में आक्रोश, वन मंत्री के गृह संभाग में ‘सुशासन तिहार’ के बीच उठे सवाल

बकावंड वन क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर जारी हुआ पेड़ काटने का आदेश : ग्रामीणों में आक्रोश, वन मंत्री के गृह संभाग में ‘सुशासन तिहार’ के बीच उठे सवाल

डमरू कश्यप

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बकावंड (जगदलपुर)। एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकार ‘सुशासन तिहार’ मना रही है, वहीं वन मंत्री केदार कश्यप के गृह संभाग में ही वन विभाग के कर्मचारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। मामला बकावंड ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत उलनार का है, जहां पेड़ काटने की अनुमति को लेकर ग्रामीणों में काफी नाराजगी है।

जानकारी के अनुसार, ग्राम उलनार, जो कि बकावंड वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आता है, वहां ग्राम पंचायत में एक व्यक्ति ने अपने घर के सामने शासकीय भूमि पर लगे छोटे झाड़-झंखाड़ और पेड़ों को व्यक्तिगत उपयोग के लिए काटने हेतु आवेदन दिया था। यह व्यक्ति ग्राम के उप सरपंच का पड़ोसी बताया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि बिना वन समिति की जानकारी और बिना किसी सार्वजनिक सूचना के डिप्टी रेंजर ने जांच कर सीधे आदेश जारी कर दिया।

वन समिति के अध्यक्ष श्यामदास बघेल समेत समिति के अन्य सदस्य – कोमो राम, ललित, शंकर, सुदरन, शिवराम, तुलसी, मंगला और रघुनाथ ने बताया कि उन्हें न तो जांच की सूचना दी गई, न ही आदेश की जानकारी मिली। जब जंगल अध्यक्ष को ही इस संबंध में जानकारी नहीं थी, तो फिर यह प्रक्रिया कैसे पूरी हो गई – यही सबसे बड़ा सवाल बनकर सामने आया है।

बीट गार्ड से जब जंगल अध्यक्ष ने फोन पर पूछताछ की, तो उसने बताया, “डिप्टी रेंजर ने आदेश दिया है, आवेदन लगा था इसलिए अनुमति दी गई है।” आरोप यह भी है कि बीट गार्ड द्वारा हरे-भरे जीवित पेड़ काटने की अनुमति दी गई, जो वन अधिनियम का सीधा उल्लंघन है। काटी गई लकड़ियों में सरगी और सागौन शामिल होने की बात कही जा रही है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 1 लाख रुपये आंकी गई है।

स्थानीय ग्रामीणों ने इस कार्रवाई की जांच की मांग की है और कहा है कि वन समिति की अनदेखी कर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं।

यह मामला उस समय सामने आया है जब पूरे राज्य में शासन की पारदर्शिता और जिम्मेदारी को लेकर ‘सुशासन तिहार’ मनाया जा रहा है। अब देखना होगा कि वन मंत्री और संबंधित विभाग इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

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