बस्तर की धरती पर फिर गूंजी मितान परंपरा की पुकार: नेगानार में महीनों चला परब, मेला में ओड़िशा से आए मेहमानों का लोकनृत्य-गीतों के साथ भव्य स्वागत

बस्तर की धरती पर फिर गूंजी मितान परंपरा की पुकार: नेगानार में महीनों चला परब,मेला में ओड़िशा से आए मेहमानों का लोकनृत्य-गीतों के साथ भव्य स्वागत

“ढोल-नगाड़ों की थाप पर थिरका बस्तर: नेगानार के परब मेले में जीवंत हुई सदियों पुरानी मितान परंपरा, विधायक लखेश्वर बघेल भी हुए शामिल”

बकावंड! ब्लॉक के ग्राम नेगानार में एक से दो माह तक चला बस्तर का पारंपरिक परब! मेला पूरे भव्यता और पारंपरिक उत्साह के साथ संपन्न हुआ। बाजे-गाजे, आदिवासी वेशभूषा में सजे युवक-युवतियों का लोक नृत्य और गीतों ने आयोजन को जीवंत बना दिया। शुक्रवार को पारंपरिक विधि-विधान से समापन समारोह आयोजित हुआ।
ओड़िशा से जुड़े मितान संबंधों का विशेष महत्व इस आयोजन में खास बात यह रही कि ओड़िशा के कोसा गुमंडा क्षेत्र के समीप स्थित नेगानार गांव से वर्षों पूर्व मितान परंपरा के तहत बने संबंधों को निभाते हुए वहां के लोगों को आमंत्रित किया गया था। मितान परंपरा के अनुसार, सुख-दुख, उत्सव और संस्कारों में एक-दूसरे के साथ जुड़े रहना, आना-जाना और सम्मान देना एक परंपरा रही है।
परब मेला में आमंत्रित अतिथियों का पारंपरिक लोक नृत्य, बाजे-गाजे और गीतों के साथ लगभग 500 मीटर की दूरी से स्वागत करते हुए कार्यक्रम स्थल तक लाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण थिरकते हुए उत्सव में शामिल हुए।
धार्मिक आस्था और लोकसंस्कृति का अद्भुत संगम इस आयोजन में क्षेत्र के देवी-देवताओं का भी विधिवत आगमन और पूजा-अर्चना हुई। शनिवार को जात्रा समापन कार्यक्रम के अंतर्गत इन देवताओं की पारंपरिक रीति-नीति से जात्रा और समापन की प्रक्रिया संपन्न की जाएगी।
गांव की गंगादेई माता गुड़ी के समीप विविध धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किए गए। मेले में विभिन्न प्रकार के झूले, आकाश झूले और पारंपरिक दुकानें आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।
रात्रिकालीन मंचन और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति मनोरंजन की दृष्टि से रात्रिकालीन उड़िया नाटक का भी आयोजन किया गया, जिसे ग्रामीणों ने बड़े उत्साह के साथ देखा। कार्यक्रम में बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल भी शामिल हुए और उन्होंने मेले का आनंद लेते हुए ग्रामीणों से संवाद किया।
शनिवार को जात्रा समापन में क्षेत्र के अन्य जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति की भी संभावनाएं हैं, जिससे इस आयोजन का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ गया है।