5 अगस्त को लेकर सियासी सस्पेंस! मोदी-शाह की राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद जम्मू-कश्मीर पर बढ़ीं अटकलें, उमर अब्दुल्ला बोले- कल न कुछ बुरा होगा, न अच्छा, लेकिन संसद सत्र से हैं उम्मीदें

दिल्ली/श्रीनगर। जैसे-जैसे 5 अगस्त की तारीख करीब आती जा रही है, जम्मू-कश्मीर को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हालिया मुलाकात ने राजनीतिक चर्चाओं को और गरमा दिया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकती है—चाहे वो विधानसभा चुनाव की घोषणा हो या राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया की शुरुआत।
इसी बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अफवाहों पर विराम लगाने की कोशिश की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मैंने जम्मू-कश्मीर को लेकर हर मुमकिन संभावना और जोड़-तोड़ सुन लिया है। चलिए थोड़ा रिस्क लेता हूं और कहता हूं कि कल कुछ नहीं होगा। सौभाग्य से कुछ बुरा नहीं होगा लेकिन दुर्भाग्य से कुछ अच्छा भी नहीं होगा।”
उमर अब्दुल्ला ने यह भी साफ किया कि उनकी दिल्ली में किसी से कोई मीटिंग या बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने लिखा, “यह सिर्फ एक gut feeling है, देखते हैं कल इसी समय क्या होता है।”
5 अगस्त क्यों है बेहद अहम?
5 अगस्त की तारीख जम्मू-कश्मीर के इतिहास में बेहद संवेदनशील मानी जाती है। इसी दिन 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया गया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। उस घटना के छह साल पूरे होने पर फिर से किसी बड़े फैसले की अटकलें लगाई जा रही हैं।
मोदी-शाह की राष्ट्रपति से मुलाकात ने बढ़ाई हलचल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। जानकारों का मानना है कि यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक नहीं थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार जम्मू-कश्मीर में चुनाव की घोषणा करने जा रही है? या फिर राज्य का दर्जा बहाल करने की दिशा में कोई बड़ा कदम उठेगा?
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस तेज है। कुछ यूजर्स का कहना है कि सरकार 5 अगस्त को फिर से ऐतिहासिक बनाना चाहती है, जबकि अन्य लोग इसे महज एक संयोग बता रहे हैं।
उमर अब्दुल्ला की शांति की अपील
उमर अब्दुल्ला ने अफवाहों पर विश्वास न करने की सलाह दी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह अब भी संसद के इस मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ सकारात्मक होने की उम्मीद रखते हैं।
अब पूरे देश की निगाहें सोमवार, 5 अगस्त पर टिक गई हैं। राजनीतिक गलियारों की चुप्पी और शीर्ष नेताओं की मुलाकातों की टाइमिंग को देखकर कहना मुश्किल है कि कल कुछ बड़ा नहीं होगा।