बस्तर की परम्परा को जीवंत करता मोगरापाल की ऐतिहासिक परब – मेला, झूले से लेकर उड़िया नाटक तक, देवी – देवताओं की जात्रा के साथ भव्य समापन!


‘बस्तर की परम्परा को जीवंत करता मोगरापाल की ऐतिहासिक परब – मेला, झूले से लेकर उड़िया नाटक तक, देवी – देवताओं की जात्रा के साथ भव्य समापन!

,, पारंपरिक परब-मेला संपन्न, बस्तरिया रंग में रंगा गांव,,
(डमरू कश्यप )! बकावंड : ब्लॉक के मोगरापाल गांव में एक से दो माह तक चला बस्तर का पारंपरिक परब-मेला बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ। गांववासियों ने पूर्वजों की परंपरा को सहेजते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए इस सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने का प्रयास किया।
सेमर की लकड़ी को विधिविधान से पूजा अर्चना के बाद गढ़ में स्थापित किया गया, जिसे पूरे गांव के लोगों ने श्रद्धापूर्वक पूजापाठ किया। इस दौरान क्षेत्र के युवा, बड़े-बुजुर्ग पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ बस्तर की लोक नृत्य शैली में जमकर झूमे। परब के माध्यम से गांव की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की गई।
मंगलवार को इस पारंपरिक आयोजन का समापन हुआ। परगना क्षेत्र के देवी-देवताओं का आगमन भी हुआ, जिनके नेतृत्व में परब-मेला और मढ़ई मनाई गई। मेले में झूले से लेकर अनेक दुकानों की रौनक रही, वहीं ग्रामीणों ने रात्रि में उड़िया नाटक का भी मंचन कर मनोरंजन किया।
इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य बनवासी मौर्य, जितेंद्र पानीग्राही, निलकुमार बघेल,घासीराम यादव और रिंकू सेठिया, बलिराम बघेल,निलांबर सेठिया, दुलभ सूर्यवंशी, बंशी कश्यप भी उपस्थित रहे और बस्तरिया अंदाज में थिरकते हुए मेले का आनंद लिया।
बुधवार को देवी-देवताओं की पारंपरिक विधि विधान के साथ जात्रा कर आयोजन का समापन एवं विदाई की गई।