भारतमाला परियोजना में बड़ा घोटाला: 600 करोड़ की हानि, EOW ने 6 आरोपी किए गिरफ्तार, कई अधिकारी फरार

भारतमाला परियोजना में बड़ा घोटाला: 600 करोड़ की हानि, EOW ने 6 आरोपी किए गिरफ्तार, कई अधिकारी फरार
रायपुर! भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में हुए 600 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों में जल संसाधन विभाग के पूर्व अमीन गोपाल राम वर्मा (सेवानिवृत्त), नरेंद्र कुमार नायक, खेमराज कोसले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू और कुंदन बघेल शामिल हैं। सभी को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से आगे की कार्रवाई जारी है।
राजनीतिक रसूख वाले आरोपी
जांच में सामने आया कि गिरफ्तार आरोपियों में कई प्रभावशाली पदों पर रहे हैं।
खेमराज कोसले पूर्व जिला पंचायत सदस्य और अभनपुर जनपद अध्यक्ष रह चुका है।
कुंदन बघेल 10 वर्षों तक नगर पंचायत अभनपुर के अध्यक्ष रहे।
पुनुराम देशलहरे नायकबांधा ग्राम के पूर्व सरपंच हैं।
ऐसे हुआ घोटाला
जांच एजेंसी के अनुसार, जल संसाधन विभाग के दो अधिकारियों ने पहले से अधिग्रहित भूमि को लेकर झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। वहीं अन्य चार लोगों ने राजस्व विभाग के फरार अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी खाता विभाजन (बंटांकन) और अन्य कागजी प्रक्रिया में हेराफेरी की। इसके एवज में किसानों से भारी कमीशन भी वसूला गया।
परियोजना की पृष्ठभूमि
भारतमाला परियोजना के अंतर्गत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 546 किलोमीटर लंबी फोरलेन और सिक्सलेन सड़क का निर्माण हो रहा है। इसके लिए किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई, लेकिन भूमि माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से मुआवजा प्रक्रिया में घोटाला सामने आया। कई भूमाफियों को वास्तविक से कई गुना ज्यादा मुआवजा दिलवाया गया, जिससे सरकार को लगभग 600 करोड़ रुपये की हानि हुई।
पूर्व SDM सहित कई अधिकारी फरार
मार्च 2025 में घोटाले के उजागर होने के बाद तत्कालीन SDM निर्भय कुमार साहू, दो तहसीलदार शशिकांत कुर्रे व लखेश्वर किरण, और तीन पटवारी — जितेंद्र साहू, बसंती धृतलहरे और लेखराम देवांगन को निलंबित कर दिया गया था। सभी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
जांच जारी
राज्य सरकार ने इस गंभीर घोटाले की जांच EOW एवं एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंपी है। मामले में और भी गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।
यह घोटाला छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी भूमि अधिग्रहण अनियमितताओं में से एक माना जा रहा है, जो न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि आम किसानों के अधिकारों का भी उल्लंघन है।