बस्तर में जल संकट पर उबाल: विधायक लखेश्वर बघेल का अनशन जनआंदोलन में बदला, PHE विभाग को घेरा


बस्तर में जल संकट पर उबाल: विधायक लखेश्वर बघेल का अनशन जनआंदोलन में बदला, PHE विभाग को घेरा


बस्तर, 2 जुलाई 2025।
बस्तर में जल संकट को लेकर जनाक्रोश अब उफान पर है। बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) की लापरवाही, भ्रष्टाचार और जल जीवन मिशन की विफलता के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। यह आंदोलन न सिर्फ प्रशासन के खिलाफ एक कड़ा संदेश बना, बल्कि सैकड़ों ग्रामीणों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भागीदारी से यह एक बड़ा जनआंदोलन बन चुका है।
📍 प्रशासन की अनदेखी पर विधायक का सीधा धरना
हड़ताल की पूर्व सूचना के बावजूद जिला प्रशासन ने कोई स्थान निर्धारित नहीं किया। इस पर नाराज विधायक ने PHE कार्यालय के सामने ही धरना शुरू कर दिया। सुबह 11:50 बजे से शुरू इस प्रदर्शन में सैकड़ों ग्रामीण, जनपद सदस्य, सरपंच, उपसरपंच और कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए। मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा कर रैली के रूप में संजय मार्केट होते हुए प्रदर्शन स्थल तक पहुंचे कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की और धरती पर बैठकर पानी के अधिकार की मांग उठाई।
📃 आश्वासन पत्र पर नाराज़गी, फिर लिखित सहमति
PHE विभाग ने पहला आश्वासन पत्र सौंपा, लेकिन उसमें अस्पष्ट और गोलमोल भाषा देख विधायक ने उसे अस्वीकार कर दिया। इसके दबाव में अधिकारियों ने 135 ग्राम पंचायतों और 200 से अधिक गांवों में अधूरे जल जीवन मिशन कार्यों को तीन माह में पूर्ण करने और बंद पड़े नलकूपों की मरम्मत का लिखित व स्पष्ट आश्वासन दिया।
⚠️ चेतावनी: अगली बार आंदोलन नहीं रहेगा शांत
विधायक बघेल ने चेतावनी देते हुए कहा – “अगर तीन माह में काम नहीं हुआ, तो बस्तर में आर्थिक नाकेबंदी, नगर बंद और जनहड़ताल होगी। यह अब सिर्फ पानी की नहीं, सम्मान की लड़ाई है।” उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन का उद्देश्य 2018-19 में हर घर नल से जल था, लेकिन भाजपा शासन में यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
🗣️ भाजपा पर तीखा हमला
बघेल ने कहा – “कांग्रेस सरकार ने इस योजना को गांव-गांव तक पहुंचाया था, लेकिन भाजपा मंत्री और अधिकारी इसे पचा गए। जब राज्य और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है, तो जनता को पानी क्यों नहीं मिल रहा?” उन्होंने भाजपा नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।
📅 पिछला आंदोलन भी रहा बेअसर
विधायक ने बताया कि 27 मई 2025 को भी उन्होंने इसी मुद्दे पर आंदोलन किया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने शिकायतों में बताया कि कहीं पाइपलाइन अधूरी है, कहीं नल लगाए ही नहीं गए, और सैकड़ों नलकूप वर्षों से खराब पड़े हैं। PHE अधिकारी जवाब देने से कतराते रहे, जिससे आंदोलन और उग्र हो गया।
🔴 “बस्तर बनेगा आंदोलन का केंद्र”
बघेल ने इस संघर्ष को “जल अधिकार जनआंदोलन” बताते हुए स्पष्ट किया कि अगली बार यह आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं रहेगा। बस्तर अब जनक्रांति की राह पर है।