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केशकाल बाईपास को मिलेगी नई रफ्तार: केंद्र सरकार ने 307.96 करोड़ की दी मंजूरी, मंत्री केदार कश्यप बोले- डबल इंजन सरकार में बस्तर तेजी से बदल रहा

केशकाल बाईपास को मिलेगी नई रफ्तार: केंद्र सरकार ने 307.96 करोड़ की दी मंजूरी, मंत्री केदार कश्यप बोले- डबल इंजन सरकार में बस्तर तेजी से बदल रहा

जगदलपुर, 15 जून 2025। बस्तर को बेहतर सड़क कनेक्टिविटी की दिशा में एक और बड़ी सौगात मिली है। केंद्र सरकार ने कोंडागांव जिले के केशकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग-43 (नया NH-30) पर 11.38 किलोमीटर लंबे बाईपास को चार लेन बनाने की परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस फोर लेन बाईपास निर्माण के लिए 307.96 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। परियोजना को पेव्ड शोल्डर मानकों के अनुसार पूरा किया जाएगा।

प्रदेश के वनमंत्री केदार कश्यप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार जताते हुए कहा कि डबल इंजन सरकार बस्तर के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। केदार कश्यप ने कहा, “यह परियोजना न केवल यातायात को सुगम बनाएगी बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी नई दिशा देगी।”

“केशकाल घाट को मिलेगा ट्रैफिक से राहत”

केशकाल घाट खंड की संकरी और घुमावदार सड़कों से जूझ रहे लोगों को अब राहत मिलने वाली है। बाईपास के बनने से घाट खंड को एक वैकल्पिक और भीड़-भाड़ रहित मार्ग मिलेगा। इससे यात्रियों का समय बचेगा, ट्रैफिक फ्लो बेहतर होगा और दुर्घटनाओं की संभावना घटेगी।

“व्यापार, परिवहन और पर्यावरण को मिलेगा लाभ”

चार लेन बाईपास से भारी वाहनों को शहरी क्षेत्र में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे शहरों की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा। साथ ही प्रदूषण का स्तर भी घटेगा। मंत्री केदार कश्यप ने कहा, “बाईपास न केवल सड़क सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि व्यापार, उद्योग और वाणिज्य को भी मजबूत आधार देगा।”

“सामूहिक विकास की दिशा में एक और कदम”

मंत्री ने कहा कि मोदी और विष्णुदेव साय की जोड़ी ने “संगच्छध्वं संवदध्वं” के मंत्र को धरातल पर उतारते हुए समन्वित और सामूहिक विकास को प्राथमिकता दी है। बस्तर में सड़कों का यह जाल विकास की नई धारा बहाएगा।


📍 परियोजना सारांश

स्थान: केशकाल, कोंडागांव जिला

लंबाई: 11.380 किमी

प्रकार: 4-लेन पेव्ड शोल्डर बाईपास

लागत: ₹307.96 करोड़

राष्ट्रीय राजमार्ग: NH-43 (नया NH-30)

यह परियोजना बस्तर अंचल के भविष्य को संवारने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।

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