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छत्तीसगढ़ में शिक्षा पर ताला, शराब दुकानों का बढ़ता जाल — स्कूल बंद, बेरोजगार बढ़े, सरकार की नीति पर मचा बवाल

छत्तीसगढ़ में शिक्षा पर ताला, शराब दुकानों का बढ़ता जाल — स्कूल बंद, बेरोजगार बढ़े, सरकार की नीति पर मचा बवाल

नारायणपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार के हालिया फैसलों ने प्रदेशभर में बहस छेड़ दी है। एक ओर जहां राज्य सरकार हजारों स्कूलों को बंद कर रही है और शिक्षकों को ‘अतिशेष’ बताकर स्थानांतरित कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में लगातार नई शराब दुकानों के खुलने का सिलसिला जारी है। इस विरोधाभास पर अब विपक्ष और सामाजिक संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है।

“युवाओं के भविष्य से अन्याय” — अभिषेक बाजपेई पूर्व जिला उपाध्यक्ष, युवक कांग्रेस नारायणपुर, अभिषेक बाजपेई ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह फैसला प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ बड़ा अन्याय है। उन्होंने कहा, “एक तरफ सरकार ने अपने घोषणा पत्र में 57,000 शिक्षकों की भर्ती और रोजगार देने का वादा किया था, वहीं दूसरी ओर अब शिक्षकों को अतिशेष घोषित कर स्कूलों से हटाया जा रहा है। यह शिक्षा विरोधी नीति है।”

बीएड, डीएड धारक युवा हताश प्रदेश में बड़ी संख्या में बीएड और डीएड धारक युवा लंबे समय से सरकारी स्कूलों में भर्ती की आस लगाए बैठे हैं। परंतु सरकार द्वारा शिक्षकों के पदों में कटौती और स्कूलों को एकीकृत करने के फैसले ने इन युवाओं के भविष्य को अधर में डाल दिया है।

“मोदी की गारंटी बन रही भ्रम की गारंटी” बाजपेई ने भाजपा सरकार की “मोदी की गारंटी” को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह केवल एक भ्रमजाल है। उन्होंने कहा, “जब प्रदेश में नई शराब दुकानें तेजी से खोली जा रही हैं और स्कूल लगातार बंद किए जा रहे हैं, तब स्पष्ट है कि सरकार की प्राथमिकता शिक्षा नहीं, मुनाफा है।”

शिक्षा में कटौती, रोजगार में ठहराव शिक्षकों की संख्या में कटौती और स्कूल बंद करने का निर्णय राज्य में पहले से मौजूद बेरोजगारी संकट को और गहरा कर रहा है। शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह नीति ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा की पहुंच को और सीमित कर देगी।

प्रदेशभर में अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि सरकार शिक्षा और रोजगार को प्राथमिकता दे तथा स्कूलों को बंद करने जैसे फैसलों पर पुनर्विचार करे। वहीं शिक्षकों और बेरोजगार युवाओं में इस मुद्दे को लेकर भारी नाराज़गी देखी जा रही है।

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