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बकावंड के फरसरा में जल जीवन मिशन में भारी भ्रष्टाचार, पांच साल से अधूरी पड़ी पानी टंकी, ग्रामीण परेशान

जल जीवन मिशन की राशि निकालकर अधूरे कार्यों पर लगा भ्रष्टाचार का दाग, पांच साल में भी नहीं मिली ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल

डमरू कश्यप,बकावंड! विकासखंड के ग्राम पंचायत फरसरा में केंद्र सरकार की बहुप्रचारित योजना जल जीवन मिशन का लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) के अधिकारियों ने मजाक बनाकर रख दिया है। योजना के तहत स्वीकृत पूरी राशि आहरित कर ली गई है, लेकिन कार्य को अधूरा छोड़कर अधिकारी व ठेकेदारों ने ग्रामीणों की पीड़ा को अनदेखा कर दिया है। अधूरे पड़े निर्माण कार्य विभागीय लापरवाही और भ्रष्टाचार की खुली गवाही दे रहे हैं।

केंद्र की डबल इंजन सरकार और राज्य सरकार की मंशा थी कि जल जीवन मिशन के जरिए हर गांव के अंतिम घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचे, लेकिन फरसरा में पांच वर्षों से अधूरी पड़ी पानी टंकी अब ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बन गई है। टंकी का निर्माण कार्य न तो पूरा हुआ है और न ही गांव के किसी एक घर तक पानी पहुंच पाया है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि टंकी निर्माण के लिए बोरवेल खुदाई भी असफल रही। निर्माण कार्य शुरू करने से पहले सूचना पटल लगाना अनिवार्य है, लेकिन यहां नियमों को ताक पर रखकर न सूचना पटल लगाया गया और न ही गुणवत्ता की चिंता की गई। दो अलग-अलग ठेकेदारों ने टंकी का निर्माण कार्य शुरू किया, लेकिन दोनों ही ठेकेदारों ने महज 10-10 फीट ऊंचाई बनाकर काम अधूरा छोड़ दिया।

इतना ही नहीं, निर्माण कार्य में मजदूरी करने वाले ग्रामीणों का भुगतान भी अब तक नहीं हुआ है। पांच वर्षों से मजदूरी का मेहनताना पाने ग्रामीण ठेकेदारों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। अधूरी टंकी की हालत अब जर्जर हो चुकी है और गिरने की कगार पर है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

ग्रामीणों ने इस पूरे मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की आशंका जताई है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

अब देखना होगा कि क्या पीएचई विभाग और शासन-प्रशासन फरसरा गांव के इन अधूरे वादों को पूरा करेगा या जल जीवन मिशन की यह टंकी महज भ्रष्टाचार की एक और इमारत बनकर रह जाएगी।

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