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छत्तीसगढ़ का बेटा अंतरिक्ष की उड़ान को तैयार: पेंड्रा के राजशेखर पैरी बनेंगे R&D एस्ट्रोनॉट, 2029 में मिशन के लिए भरेंगे उड़ान

19 साल की उम्र में NASA को भेजा मेल, 4 दिन में आया जवाब; टाइटंस स्पेस इंडस्ट्रीज के पहले मिशन में हुआ चयन

रायपुर/पेंड्रा। छत्तीसगढ़ के पेंड्रा निवासी राजशेखर पैरी अब अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरने जा रहे हैं। उन्हें अमेरिका की निजी एयरोस्पेस कंपनी टाइटंस स्पेस इंडस्ट्रीज ने अपने पहले स्पेस मिशन के लिए बतौर R&D एस्ट्रोनॉट चुना है। यह सब-ऑर्बिटल मिशन 2029 की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा, जिसमें वैज्ञानिक प्रयोगों को अंतरिक्ष में परखने पर फोकस रहेगा। फिलहाल राजशेखर यूनाइटेड किंगडम में 4 वर्षीय ट्रेनिंग में हिस्सा ले रहे हैं।

बचपन से विज्ञान में रुचि, 7वीं में ही बना लिया था लक्ष्य

राजशेखर बताते हैं कि उन्होंने साइंस में रुचि बचपन से ही ली। एनसीईआरटी की किताबों के छोटे प्रयोग उन्हें सोचने पर मजबूर करते थे कि वैज्ञानिकों ने कैसे यह सब जाना। 2008 के बिलासपुर व्यापार मेला में विज्ञान मॉडल प्रतियोगिता में दूसरा स्थान पाने के बाद उनका आत्मविश्वास और बढ़ा।

नासा को लिखा ईमेल, 4 दिन में आया जवाब

राजशेखर ने 19 साल की उम्र में NASA को केवल यह पूछने के लिए मेल किया था कि “एस्ट्रोनॉट कैसे बना जाता है?” उम्मीद नहीं थी, लेकिन 4 दिन में जो जवाब आया, उसने उनके सपनों को पंख दे दिए। नासा ने न केवल विस्तृत जानकारी दी बल्कि बधाई देते हुए हौसला भी बढ़ाया।

शिक्षा और ट्रेनिंग का सफर

स्कूली पढ़ाई: ऑक्सफोर्ड स्कूल, पेंड्रा

इंजीनियरिंग: मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हैदराबाद से

हायर स्टडीज: यूके में एयरोस्पेस प्रपल्शन में स्पेशलाइजेशन

ट्रेनिंग: पोलैंड से एनालॉग स्पेस ट्रेनिंग, नकली चंद्र मिशन, ऑर्बिटालॉकर में इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट मैनेजर

मिशन में भूमिका और उद्देश्य

राजशेखर इस मिशन में रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्ट्रोनॉट के तौर पर काम करेंगे। उनका फोकस यह रहेगा कि अंतरिक्ष में किन प्रयोगों को किया जा सकता है और उन्हें कैसे विकसित किया जाए।

ट्रेनिंग के दो चरण

पहला फेज (2025-2027): साइकोलॉजिकल हाइब्रिड क्लासेस, फिजिकल फिटनेस, संकट प्रबंधन

दूसरा फेज (2027 के बाद): एडवांस मॉड्यूल्स, मिशन सिमुलेशन, परफॉर्मेंस मैट्रिक्स

परिवार का मिला साथ, शुभांशु शुक्ला से प्रेरणा

परिवार शुरू से उनके मिशन को लेकर सकारात्मक रहा। राजशेखर को भारत के शुभांशु शुक्ला से खास प्रेरणा मिली, जो हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से लौटे हैं। राजशेखर अब PPL (प्राइवेट पायलट लाइसेंस) की तैयारी भी कर रहे हैं ताकि भविष्य में वह तकनीकी और फ्लाइंग दोनों में सक्षम बन सकें।

अंतिम संदेश

राजशेखर का मानना है कि एयरोस्पेस इंजीनियरिंग सिर्फ ग्लैमर नहीं, बल्कि समर्पण और वैज्ञानिक सोच की परीक्षा है। वह युवाओं को संदेश देते हैं कि अपने रुचि क्षेत्र की पहचान करें और उसमें निपुणता हासिल करें, क्योंकि अंतरिक्ष की उड़ान जुनून और धैर्य दोनों मांगती है।


लेखक टिप्पणी:
राजशेखर की कहानी एक छोटे से शहर से निकलकर अंतरिक्ष तक पहुंचने की प्रेरक यात्रा है। उनका सफर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के युवाओं के लिए एक मिसाल है।

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