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“जगदलपुर जिला व्यापार एवं उद्योग कार्यालय 8 माह से ठप: सर्वर डाउन के नाम पर लटक रहे बेरोजगारों के सपने”

“जगदलपुर जिला व्यापार एवं उद्योग कार्यालय 8 माह से ठप: सर्वर डाउन के नाम पर लटक रहे बेरोजगारों के सपने”

जगदलपुर,! देश में जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें युवा उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने की बात कर रही हैं, वहीं बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर का जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र कार्यालय (DIC) पिछले आठ महीनों से पूरी तरह ठप पड़ा है। बीएसएनएल कार्यालय की दूसरी मंजिल पर स्थित इस केंद्र में “सॉफ्टवेयर और सर्वर डाउन” का बहाना बनाकर सभी सेवाएं बंद कर दी गई हैं, जिससे हज़ारों युवा बेरोजगारों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।


8 महीनों से हर दिन एक ही जवाब – “सर्वर डाउन है”

बस्तर के विभिन्न ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से आने वाले बेरोजगार युवक-युवतियों ने नाम नहीं छापने की शर्ते में बताया कि वे लगातार कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ यही जवाब मिलता है कि “ऑनलाइन सिस्टम बंद है, सर्वर डाउन है, आज नहीं हो पाएगा, कल आओ।”

कुछ आवेदकों ने बताया कि उनके आवेदन 1 साल से लंबित हैं, लेकिन अब तक न कोई स्वीकृति मिली है, न कोई जानकारी। एक युवक ने कहा – “चप्पल घिस गई साहब, लेकिन फार्म जमा नहीं हुआ। कभी नेटवर्क नहीं, कभी सिस्टम बंद।”


सरकारी दिशा-निर्देशों को दरकिनार कर रहा कार्यालय

हाल ही में बस्तर कलेक्टर द्वारा प्रेरणा सभा कक्ष में कृषि, लोन और उद्योग रोजगार से जुड़े विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सभी लंबित प्रकरणों का शीघ्र समाधान किया जाए, ताकि युवाओं को योजनाओं का लाभ समय पर मिल सके।

लेकिन जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र कार्यालय पर इसका कोई असर नहीं दिखा। अधिकारियों की कार्यशैली और जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि प्रशासन के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी “सर्वर डाउन” का बहाना धड़ल्ले से जारी है।


“क्या है जिला उद्योग केंद्र का उद्देश्य?

जिला उद्योग केंद्रों (DICs) की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा इस उद्देश्य से की गई थी कि देश के ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु, कुटीर और पारंपरिक उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाए। इन केंद्रों का कार्य है:

“स्थानीय उद्यमियों को मार्गदर्शन व प्रशिक्षण देना”

PMEGP व अन्य सरकारी ऋण योजनाओं में सहयोग करना

“नई औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण करना”

औद्योगिक सहकारी समितियों का गठन व प्रोत्साहन

महिला, दिव्यांग व अल्पसंख्यक उद्यमियों को विशेष सुविधा देना

यहाँ तक कि कई क्षेत्रों में केंद्र प्रशिक्षण शिविर और जागरूकता अभियान भी चला रहा है ताकि ग्रामीण युवा उद्योगों की दुनिया में कदम रख सकें।

लेकिन जब जिला कार्यालय ही ठप हो, तो ये सारी योजनाएं केवल कागजों में रह जाती हैं।


“ट्रेनिंग दी जा रही, लेकिन स्कीम बंद” – एक विडंबना

एक ओर बस्तर जिले में जगह-जगह उद्योग विभाग की ओर से प्रशिक्षण कार्यक्रम और योजना जागरूकता शिविर चल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिला उद्योग कार्यालय में कोई भी योजना न ऑनलाइन सक्रिय है, न ऑफलाइन।

यह एक व्यवस्थागत विफलता है जो युवाओं के मन में शासन के प्रति अविश्वास पैदा कर रही है।


“सवाल उठते हैं, तो जवाब कौन देगा?

  1. 8 महीने से सर्वर डाउन है – तकनीकी समस्या है या प्रशासनिक लापरवाही?
  2. अगर समस्या तकनीकी है तो अब तक समाधान क्यों नहीं किया गया?
  3. क्या यह कोई बड़ी अनदेखी है, जिसके पीछे जिम्मेदार अधिकारी बच रहे हैं?
  4. सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के बीच ज़मीनी लाभार्थी क्यों वंचित हैं?

इन सभी सवालों का जवाब देना अब प्रशासन और शासन दोनों की जिम्मेदारी है।


“जनता की माँग – हो निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्यवाही”

बस्तर के कई जागरूक युवाओं और सामाजिक संगठनों ने इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर “सर्वर डाउन” की आड़ में भ्रष्टाचार या लापरवाही छुपाई जा रही है, तो उसे बेनकाब किया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।


“निष्कर्ष: योजनाएं तब ही सफल हैं, जब ज़मीन पर लागू हों”

जिला व्यापार उद्योग केंद्र जैसे संस्थान भारत के युवाओं के लिए उम्मीद की किरण हैं, लेकिन अगर वहां तकनीकी और प्रशासनिक असफलताएं लगातार बनी रहेंगी, तो योजनाएं केवल भाषणों और ब्रोशर में ही चमकती रहेंगी।

आज समय है कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लें, ताकि जगदलपुर जैसे पिछड़े क्षेत्रों के युवाओं को भी वह अवसर मिल सके जिसका वादा हर बजट, हर अभियान और हर घोषणापत्र में किया जाता है।

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