छत्तीसगढ़जगदलपुरबस्तर संभाग

बस्तर सांसद महेश कश्यप के सवाल पर केंद्र सरकार का जवाब: जनजातीय शिक्षा को लेकर गंभीर है सरकार, 7 जिलों में 32 हजार से अधिक छात्रावास सीटें स्वीकृत

बस्तर सांसद महेश कश्यप के सवाल पर केंद्र सरकार का जवाब: जनजातीय शिक्षा को लेकर गंभीर है सरकार, 7 जिलों में 32 हजार से अधिक छात्रावास सीटें स्वीकृत

जगदलपुर, 26 जुलाई 2025।
लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान बस्तर सांसद महेश कश्यप द्वारा पूछे गए अतारांकित प्रश्न पर केंद्र सरकार ने जनजातीय शिक्षा को लेकर तथ्यपूर्ण और ठोस जानकारी दी है। इस प्रश्न के माध्यम से सांसद ने जनजातीय समुदाय के विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों, शैक्षणिक सुविधाओं और पोटाकेबिन विद्यालयों की स्थिति को लेकर सरकार से जवाब मांगा था।

केंद्र सरकार का उत्तर – 7 जिलों में 482 छात्रावास, 32,146 सीटें केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री द्वारा दिए गए उत्तर में बताया गया कि बस्तर संभाग के सात जिलों में कुल 482 छात्रावासों में 32,146 सीटें स्वीकृत की गई हैं। इनमें से 309 बालक छात्रावासों में 19,992 सीटें और 173 बालिका छात्रावासों में 12,306 सीटें आरक्षित की गई हैं, जिससे लिंग-आधारित संतुलन को ध्यान में रखा गया है।


पोटाकेबिन योजना को लेकर भी ठोस कदम

उत्तर में यह भी स्पष्ट किया गया कि पोटाकेबिन योजना के अंतर्गत कक्षा 8वीं तक के विद्यार्थियों को आवासीय एवं शैक्षणिक सुविधाएं दी जा रही हैं।

शिक्षकों के मानदेय को ₹10,000 से बढ़ाकर ₹16,000 कर दिया गया है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 में 60 पोटाकेबिन स्कूलों के लिए 900 शिक्षकों के पद स्वीकृत किए गए हैं।


“धरती आबा जनजातीय ग्राम उन्नयन अभियान” से बस्तर को मिलेगा नया संबल

केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के तहत बस्तर संभाग में 73 नए छात्रावासों को स्वीकृति दी गई है, जिससे शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं भी सुदृढ़ होंगी।


महेश कश्यप का केंद्र सरकार को धन्यवाद

सांसद महेश कश्यप ने इस उत्तर के लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि,
“सरकार का यह उत्तर दर्शाता है कि वह जनजातीय छात्रों के सर्वांगीण विकास को लेकर न सिर्फ़ संवेदनशील है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्य कर रही है। शिक्षा ही बस्तर के उज्जवल भविष्य की कुंजी है और इसी दिशा में केंद्र सरकार की योजनाएं मील का पत्थर साबित होंगी।”


संसद में विपक्ष के हंगामे पर भी जताई नाराजगी

साथ ही सांसद कश्यप ने संसद के मानसून सत्र में विपक्ष के रवैये पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब सरकार जनहित के मुद्दों पर उत्तर दे रही थी, तब विपक्ष ने नारेबाजी और आरोप-प्रत्यारोप में बहुमूल्य संसदीय समय नष्ट किया।

उन्होंने कहा कि *“ऑपरेशन सिंदूर” जैसे गंभीर रक्षा विषय पर चर्चा की जगह राजनीतिक टिप्पणियां करना न केवल देश के जवानों का अपमान है, बल्कि संसद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाना है। संसद देश की सर्वोच्च विधायी संस्था है, जहां विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी और मर्यादा का पालन करना चाहिए।”


“राजनीति नहीं, जिम्मेदारी निभाए विपक्ष” – सांसद कश्यप

सांसद ने स्पष्ट कहा कि अगर विपक्ष को सरकार से असहमति है, तो उसे तथ्यों और संवैधानिक प्रक्रिया के साथ अपनी बात रखनी चाहिए। केवल राजनीतिक लाभ के लिए अवरोध और हंगामा लोकतंत्र के लिए सही मार्ग नहीं है।

Related Articles

Back to top button
You Cannot able to copy the content! All Reserved Rights of Bastar Dagar