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धान खरीदी पर केंद्र का ऐतिहासिक फैसला: छत्तीसगढ़ को 8 लाख मीट्रिक टन की अतिरिक्त मंजूरी, मुख्यमंत्री साय बोले – “अन्नदाताओं की मेहनत को मिला राष्ट्रीय सम्मान”

धान खरीदी पर केंद्र का ऐतिहासिक फैसला: छत्तीसगढ़ को 8 लाख मीट्रिक टन की अतिरिक्त मंजूरी, मुख्यमंत्री साय बोले – “अन्नदाताओं की मेहनत को मिला राष्ट्रीय सम्मान”

रायपुर, 18 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक बन गया। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए धान खरीदी का अनुमान 70 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 78 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। यह निर्णय न सिर्फ प्रदेश के अन्नदाताओं की मेहनत को मान्यता देता है, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी का आभार जताते हुए कहा कि यह “डबल इंजन सरकार” की किसान-समर्पित नीति का परिणाम है। उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा—

“केंद्र सरकार द्वारा 8 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त धान खरीदी की स्वीकृति, छत्तीसगढ़ के किसानों की मेहनत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने जैसा है। यह निर्णय उनकी आमदनी बढ़ाएगा और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगा।”

साय ने बताया कि राज्य सरकार खरीदी प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाए रखने के लिए पूरी तरह तैयार है। किसानों को बेहतर मूल्य, समय पर भुगतान और सुगम प्रक्रिया देने के लिए नई रणनीति भी तैयार की जा रही है।

क्या है फैसला और क्यों है अहम?

खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए धान खरीदी का अनुमान बढ़ा

70 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर अब 78 लाख मीट्रिक टन

अतिरिक्त 8 लाख मीट्रिक टन खरीद की स्वीकृति से लाखों किसानों को सीधा लाभ

छत्तीसगढ़ को देश का सबसे बड़ा धान उत्पादक राज्य बनाए रखने में मदद

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के अन्नदाता नई ऊंचाइयों को छुएंगे। हमारी सरकार किसानों की खुशहाली और सम्मान के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

किसानों में जश्न का माहौल

इस घोषणा के बाद प्रदेश के विभिन्न अंचलों में किसानों ने खुशी जाहिर की। धान खरीदी के अनुमान में यह अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि मानी जा रही है। किसान संगठनों ने इसे सरकार की सकारात्मक नीति और कृषि को बढ़ावा देने वाला निर्णय बताया।

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