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00बस्तर में आदिवासी उत्पादों को नई उड़ान देने ट्राईफेड फूडपार्क संचालन पर मंथन, उप मुख्यमंत्री और वन मंत्री ने की अहम बैठक00

00सेमरा स्थित ट्राइफूड पार्क में शहद, काजू, इमली समेत कई उत्पादों की प्रोसेसिंग की योजना; स्थानीय आदिवासियों को मिलेगा रोज़गार और बेहतर मूल्य00

जगदलपुर, 12 जून 2025।
बस्तर के आदिवासी उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा तथा वन मंत्री केदार कश्यप ने आज जगदलपुर के सेमरा स्थित ट्राइफेड फूडपार्क के सभागार में उच्चस्तरीय बैठक की। इस दौरान दोनों मंत्रियों ने ट्राईफेड द्वारा तैयार किए गए ट्राइफूड पार्क के संचालन, योजनाओं और भावी कार्ययोजना पर गहन चर्चा की। साथ ही फूडपार्क में स्थापित अत्याधुनिक मशीनों का भी निरीक्षण किया।

बस्तर जिले के सेमरा में 8.20 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह फूडपार्क लगभग 21.55 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जिसमें से 4.36 एकड़ में उत्पादन और प्रोसेसिंग प्लांट विकसित किया गया है। यहां शहद, इमली, काजू, महुआ, आम, साल-बीज समेत स्थानीय वनोपजों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग की जाएगी। इसके साथ ही एक आधुनिक कोल्ड स्टोरेज यूनिट की सुविधा भी दी गई है।

बैठक में गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर के आदिवासियों को लाभ पहुंचाने के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से फूडपार्क को कच्चा माल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देकर प्रोसेसिंग की जाए, ताकि आदिवासियों को सीधे तौर पर बेहतर आमदनी हो सके।

वन मंत्री केदार कश्यप ने ट्राइफूड यूनिट के सफल संचालन के लिए प्रोफेशनल टीम की जरूरत पर बल देते हुए अन्य राज्यों में संचालित ट्राइफेड मॉडल का अध्ययन कर बस्तर के लिए उपयुक्त कार्ययोजना तैयार करने को कहा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि स्थानीय संसाधनों और अनुभव रखने वाले संस्थानों को प्राथमिकता दी जाए।

इस अवसर पर चित्रकोट विधायक विनायक गोयल, जिला पंचायत अध्यक्ष वेदवती कश्यप, पूर्व मंत्री महेश गागड़ा, ग्रामीण विकास सचिव भीम सिंह, ट्राइफेड के पूर्व एमडी प्रवीण कृष्णा, बस्तर आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस, एसपी शलभ सिन्हा सहित ट्राइफेड और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

बैठक के पश्चात उप मुख्यमंत्री और वन मंत्री ने यूनिट के भीतर स्थापित प्रोसेसिंग मशीनों का अवलोकन किया और जल्द संचालन शुरू करने पर बल दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि यदि मशीनों में कुछ परिवर्तन की आवश्यकता हो, तो उसमें त्वरित निर्णय लेकर प्रक्रिया को गति दी जाए।

यह पहल बस्तर के आदिवासी समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने और उनके उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

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